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ऑस्ट्रेलिया में ग्लोबल वॉर्मिंग का हवाला देकर 10 हज़ार ऊंटों की होगी हत्या

एक ओर जहां लोग जलवायु परिवर्तन पर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, वहीं दूसरी ओर खुद ही प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करते हैं। ऑस्ट्रेलिया से अभी जो खबर मिली है, वह बेहद दर्दनाक है। वहां बड़े पैमाने पर ऊंटों को मारने का सिलसिला शुरू होने वाला है। 

मैं आपको इस खबर के बारे में विस्तार से बताती हूं। ऑस्ट्रेलिया में जलवायु संरक्षण के नाम पर 10 हज़ार ऊंटों की हत्या की जाएगी। ऑस्ट्रेलिया में ऊंटों को कार्बन उत्सर्जन और पानी की कमी के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है।

कहा जा रहा है कि ऊंट पानी ज़्यादा पीते हैं, जिस वजह से वहां पानी की कमी हो रही है। साउथ ऑस्ट्रेलियन डिपार्टमेंट फॉर एनवायरमेंट एंड वॉटर (DEW) ने बताया है कि ऊंटों की संख्या में बहुत तेज़ी से इज़ाफा हो रहा है मगर देश में पानी की किल्लत है इसलिए इन ऊंटों को मार देना ही सही फैसला है।

जहां तक बात कार्बन उत्सर्जन की है तो रिपोट्स के अनुसार, ऊंट एक वर्ष में एक टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर मिथेन गैसों का उत्सर्जन करते हैं। कार्बन फार्मिंग स्पेशलिस्ट रेनेसेगो के मुख्य कार्यकारी टीम मोरे का कहना है,

प्रति वर्ष एक टन CO2 की तुलना में मिथेन गैस उत्सर्जन करने वाले एक लाख जंगली ऊंट, सड़कों पर 400,000 गाड़ियों के समान हैं। अर्थात एक लाख जंगली ऊंट, 4 लाख गाड़ियां के बराबर कार्बन उत्सर्जित करते हैं।  

ऊंटों और ऊंट से संबंधित कुछ प्रजातियां जैसे- ललामा, अल्पाका और गुआनोज आदि मिथेन गैस उत्सर्जित करते हैं, जो कि कार्बन डाई ऑक्साइड से 20 गुना ज़्यादा खतरनाक होता है।

ऊंट के साथ ही जुगाली करने वाले अन्य जानवर अपने भोजन पचाने की प्रक्रिया में भारी मात्रा में मिथेन का उत्सर्जन करते हैं, जो कि वैश्विक स्तर पर मिथेन के उत्सर्जन का 20% है। कुछ शोध के अनुसार, ऊंट अन्य जुगाली करने वाले जानवरों से कम मात्रा में मिथेन का उत्सर्जन करते हैं।

हालांकि यह मुझे कहीं से भी तर्कसंगत नहीं लगता है, क्योंकि ऊंटों का मेटाबोलिज़्म बहुत स्लो होता है और वह खाना भी बहुत कम मात्रा में खाते हैं।  

वहां की मीडिया के खबर के अनुसार देश के दक्षिण-पश्चिम में स्थित अनांगु पितजनजातजारा याकुनीजतजारा ( Anangu Pitjantjatjara Yankunytjatjara- APY) लैंड्स में इन ऊंटों को मारा जाएगा।

क्या इन ऊंटों की हत्या के बाद उन्हें जलाने से नहीं होगा कार्बन उत्सर्जन?

मेरे मन में कुछ सवाल आ रहे हैं कि क्या इन ऊंटों की हत्या से कॉर्बन उत्सर्जन की प्रकिया में अनियमितता नहीं होगी? आप बताइए कि अगर कोई जीव आपके लिए सही नहीं होगा तो क्या आप उसकी हत्या कर देंगे? यह कैसा लॉजिक है और यह कहां तक सही है?

खबर के अनुसार इन ऊंटों को हेलिकॉप्टर से शार्प शुटरों द्वारा मारा जाएगा। इसके बाद APY लैंड्स में रहने वाले समुदाय के लोग इनके शवों को अगले दो हफ्तों तक जलाएंगे।

यह तो सरासर हत्या है। इससे ना केवल कार्बन साइकिल बल्कि पूरे इको-सिस्टम पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। इतने बड़े पैमाने पर शवों को जलाने के कारण कॉर्बन डाइक्साइड की मात्रा बढ़ेगी। एक ओर जहां सड़कों पर गाड़ियां धुल उड़ाती हैं और प्रदूषण फैलाती हुई दौड़ती हैं, वह किसी की नज़र में नहीं आती है मगर जीते-जागते प्राणियों पर मौत की तलवार लटकनी शुरू हो जाती है। यह कैसा निर्णय है? 

यह एक बेहद अमानवीय निर्णय है, क्योंकि इससे प्रकृति पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ेगा। हर एक जीव एक दूसरे से जुड़ा होता है, ऐसे में किसी जीव की इस प्रकार हत्या कर देना बेहद अमानवीय कदम है।

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