वर्ष 2019, जाते-जाते हरियाणा प्रदेश में चल रही शीत लहर में, राजनीतिक चिंगारी सुलगाकर गर्माहट दे गया। हरियाणा विधानसभा चुनाव के मात्र दो माह के भीतर ही हरियाणा की राजनीति में विस्फोट होने प्रारम्भ हो गए हैं।
नारनौंद से जननायक जनता पार्टी (जजपा) के विधायक रामकुमार गौतम ने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है और अपने नेता के खिलाफ तीखी बयानबाज़ी भी की है। इस घटना से जजपा में अंदरखाने उबल रही फूट सामने आ गई है। यह तो बाद में ही पता चलेगा कि पार्टी के भीतर पनप रहा यह ज्वालामुखी कितना लावा उगलता है।
लोग जहां क्रिसमस दिवस का आनंद ले रहे थे, वहीं हरियाणा की नवगठित एवं भाजपा के संग सत्ता में सांझीदार जन-नायक जनता पार्टी के वयोवृद्ध ब्राह्मण नेता एवं नारनौंद से विधायक राम कुमार गौतम कड़ाके की सर्दी में अपने ही नेता एवं प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला के खिलाफ आग उगल रहे थे।
चुनाव में भाजपा को भारी झटका
विधायक राम कुमार गौतम कह रहे थे कि पार्टी के सर्वे-सर्वा दुष्यंत अकेले ही सत्ता सुख भोग रहे हैं और उनके अन्य विधायक उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। गौतम ने आरोप लगाया कि अकेले दुष्यंत ग्यारह विभागों का मंत्री बने बैठे हैं, वे भूल गए हैं कि उनके नौ अन्य विधायक और भी हैं। गौतम इतने खफा दिख रहे थे कि उन्होंने दुष्यंत को लपेटने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
उल्लेखनीय है कि हालही में हुए विधान सभा चुनावों में 75 पार का टारगेट रखकर चुनाव में उतरी ओवर कफिडेंट भाजपा को उस समय भारी झटका लगा था, जब उसे विधानसभा की 90 सीटों में से केवल 40 सीटें ही हाथ लगी थी। जो उसकी पिछली सीटों से भी 7 कम थी।
काँग्रेस 31 सीट लेकर दूसरे नंबर पर रही तथा पूर्व उप-प्रधान मंत्री दिवंगत चौधरी देवीलाल के प्रपोत्र दुष्यंत चौटाला की पार्टी जजपा अपने ही दादा पूर्व मुख्यमंत्री एवं जेल में दस वर्ष की सज़ा काट रहे, ओम प्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी से बगावत कर 10 सीट जीतकर किंग मेकर बन गई।
चुनाव के दौरान पानी पी-पीकर भाजपा को भ्रष्ट एवं प्रदेश के लिए घातक बताने वाले दुष्यंत ने भाजपा के विरोध में वोट बटोरकर अपनी पार्टी की दसों सीटों को भाजपा की झोली में उड़ेल दिया और खुद के लिए उप- मुख्यमंत्री का पद सुनिश्चित कर लिया। 9 सीट अन्य तथा निर्दलियों को मिली 6 सीटों को भाजपा ने कोई ना कोई पद देकर पेसिफाई कर दिया है।
गौतम खुद को मान रहे हैं उपेक्षा
हरियाणा में विधानसभा चुनाव में बहुमत से चूकी भाजपा ने 27 अक्टूबर को चुनाव के दौरान धुर विरोधी रहे दुष्यंत चौटाला की पार्टी से गठबंधन कर सरकार बनाई थी। फिर नवंबर में पहला कैबिनेट विस्तार होने से पहले जजपा के कोटे से सबसे वरिष्ठ विधायक और पार्टी के संस्थापक सदस्य राम कुमार गौतम का मंत्री बनना तय माना जा रहा था, लेकिन 6 कैबिनेट और चार राज्य मंत्रियों की सूची में उनका नाम नहीं रहा।
जजपा ने अपने तीन मंत्री पद के कोटे के विरुद्ध एक उप- मुख्यमंत्री पद तथा एक मंत्री पद स्वीकार कर एक मंत्री पद खाली रख लिया, ताकि अपने अन्य बचे विधायकों को आशान्वित रखा जा सके और वे पार्टी से बंधे रहें। परन्तु सत्ता के फल चखने हेतु राजनीतिज्ञ भला कितने दिन टिकते हैं? मंत्री पद के लिए प्रारम्भ से ही अपना दावा मज़बूत मानकर चल रहे गौतम खुद को पार्टी में उपेक्षित मान रहे थे।
आखिरकार, 25 दिसम्बर को गौतम ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद छोड़कर सार्वजनिक रूप से अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर बगावत कर ही दी।
क्या कहा गौतम ने?
गौतम ने स्वीकार किया कि दुष्यंत चौटाला की पार्टी ने उन्हें एमएलए बनाया है। उन्होंने कहा,
जाटों का इतना बड़ा वोट बैंक मुझे इसी कारण से मिला है, परन्तु दुष्यंत को डिप्टी चीफ मिनिस्टर भी तो हमने ही बनाया है। हम नौ विधायकों के सहयोग से ही दुष्यंत डिप्टी चीफ मिनस्टिर बना है, नहीं तो कहां बनने वाला था?
गौतम ने दुष्यंत चौटाला पर निशाना साधते हुए कहा,
11 महकमे लेकर खुद बैठा है, अकेले जीम रहा है, अरे भलेमानस और भी विधायक हैं पार्टी में।
उन्होंने कहा कि मैं जजपा के संस्थापकों में शामिल हूं और पार्टी नहीं छोड़ूंगा। जिस दिन विधायक पद से इस्तीफा दूंगा तभी पार्टी छोडूंगा। यहां पार्टी छोड़ने पर विधायक पद जाने की तरफ भी इशारा किया और कहा कि लोगों ने मुझे विधायक बनाया है और उनकी भलाई के लिए काम करता रहूंगा।
यहां यह तो स्पष्ट हो ही गया कि गौतम किसी भी सूरत में विधायकी नहीं गंवाना चाहते, उन्हें पता है कि दुष्यंत के सपोर्ट के बिना वे जाट बाहुल्य क्षेत्र में जीत का दामन नहीं ओढ़ सकते हैं और ना बिछा सकते हैं।
गौतम ने खुद को मंत्री पद ना मिलने का दर्द बयां करते हुए कहा,
मुझे मंत्री बनाते तो मुझे क्या फायदा था? हलके लोगों के हित में होता यह, लोगों के काम होते, अगर मुझे मंत्री बनाते तो बड़ी उड़ान भरते, पर अब क्या है? खेल खतम, पैसा हज़म।
गौतम ने आरोप लगाया कि दुष्यंत ने अपने रिश्तेदार (कैप्टेन अभिमन्यु) से समझौता कर लिया और उन्हें मंत्री नहीं बनाया।
क्या कैप्टन अभिमन्यु है इसकी वजह
राजनीतिक गलियारों में खुले आम चर्चाए हैं कि नारनौंद विधान सभा क्षेत्र से भाजपा के पराजित उम्मीदवार एवं पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के दवाब के चलते गौतम को मंत्री पद से वंचित रखा गया है। कैप्टन को डर था कि यदि गौतम को मंत्री पद दिया जाता है, तो वे हलके में अपनी पकड़ मजबूत करके उनके (कैप्टेन के) भविष्य के लिए घातक हो सकते हैं।
यही स्थिति टोहाना से भाजपा के प्रदेश प्रमुख सुभाष बराला को पराजित कर विधायक बने देवेंदर बबली के साथ हैं। कहा जा रहा है कि दुष्यंत चौटाला इन दोनों क्षेत्रों (टोहाना एवं नारनौंद) से जीते अपनी पार्टी के विधायकों ( देवेंदर बबली तथा राम कुमार गौतम) को मंत्री बनाना चाहते थे परन्तु इन हलकों से भाजपा के पराजित धुरंधरों के दवाब के चलते भाजपा ने दुष्यंत की बात को नहीं माना।
क्या होगा गौतम की बगावत का परिणाम?
कुछ राजनीतिक विश्लेषक यह निष्कर्ष भी निकाल रहें हैं कि गौतम इतना वरिष्ठ राजनीतिज्ञ हैं कि बिना किसी दम व शय के इतना बड़ा बखेड़ा खड़ा नहीं करेगा, उसे ज़रूर कहीं ना कहीं से सपोर्ट मिल रहा है। गौतम द्वारा दुष्यंत के राजनीतिक विरोधी जाट नेताओं की प्रशंसा करना भी कुछ ना कुछ संकेत तो दे ही रहा है।
दुष्यंत के दादा ओम प्रकाश चौटाला के छोटे भाई और निर्दलिये चुनाव जीतकर वर्तमान खट्टर सरकार में अपने दम पर मंत्री बने रणजीत सिंह चौटाला की तारीफ करते हुए गौतम ने कहा,
रणजीत का अपना स्थान है, वह चौधरी देवीलाल के बेटे हैं और पहले भी मंत्री रह चुके हैं। काबिल व पढ़ा लिखा है। रणजीत कोई इनके (दुष्यंत चौटाला के) बनाने से मंत्री थोड़े ही बना है।
काँग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा के खिलाफ भी दुष्यंत चौटाला की भाजपा के साथ सांठ-गांठ का खुलासा करते हुए गौतम ने कहा।
दुष्यंत जाट बिरादरी में अपने से बड़ा नेता किसी को देखना ही नहीं चाहता। मैंने इनको कहा था कि आप हुड्डा के खिलाफ दिग्विजय को क्यों खड़ा कर रहे हो ? दुष्यंत बोला कि नहीं तो हुड्डा बन जाएगा। मैंने कहा कि हम तो नहीं जीत रहे और अगर यह जीत जाता तो हमें क्या तकलीफ है?
रामकुमार गौतम के आरोपों का समर्थन करते हुए कांग्रेस नेता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर हुड्डा के पुत्र एवं पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि जेजेपी शुरू से ही बीजेपी के लिए एजेंट के तौर पर काम कर रही थी। लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने मिलकर सोनीपत सीट से भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हराने का षड्यंत्र रचा था।
दीपेंदर ने आरोप लगाया कि अब जेजेपी विधायक भी दुष्यंत चौटाला की नीतियों को समझ चुके हैं, क्योंकि दुष्यंत चौटाला ने अपने विधायकों को बीजेपी के हाथों बेचने का काम किया है। हरियाणा की जनता ने बीजेपी शासन के खिलाफ वोट देकर जेजेपी के विधायकों को जिताने का काम किया है, लेकिन जेजेपी प्रमुख ने सभी विधायकों के साथ धोखा करते हुए बीजेपी की गोदी में बैठा दिया।
अपने एक ट्वीट में दीपेंदर ने लिखा,
सरकार में शामिल JJP विधायकों के बग़ावती बयान इस बात का प्रमाण है कि जब आप वोट भाजपा-खट्टर सरकार को सत्ता से बाहर करने के लो, और फिर सौदा कर सपोर्ट उन्ही को करो -तो यह स्थाई नही स्वार्थी गठबंधन साबित होगा।
बहादुरगढ़ धन्यवाद कार्यकर्ता सभा में। MLA राजेंद्र जून जी को विशेष बधाई। pic.twitter.com/O91TkfzrMi
— Deepender S Hooda (@DeependerSHooda) December 26, 2019
परन्तु पार्टी सुप्रीमो दुष्यंत चौटाला विद्रोही विधायक राम कुमार गौतम की इस बगावत को बड़े ही चतुर राजनैतिक बयान से खारिज कर रहे हैं और इस चिंगारी को आग बनने से पहले ही राख बना देना चाहते हैं। वे मुस्कराहट के साथ कहते हैं,
राम कुमार गौतम पार्टी में सबसे बुज़ुर्ग व विधायकों की टीम में सबसे वरिष्ठ हैं, अगर उन्हें पार्टी से कोई शिकायत है या कोई अन्य बात है तो वे संगठन प्लेटफॉर्म पर उठाएं।
उनका कहना है कि गौतम हमारे बड़े हैं और उनकी कही हुई बातों का हम बुरा नहीं मानते हैं। दुष्यंत ने कहा कि संगठन के विस्तार में रामकुमार गौतम का सहयोग रहा है, परन्तु साथ ही दुष्यंत ने गौतम को एक कड़ा संकेत भी दे दिया है कि यदि ज़रूरी हुआ तो पार्टी गौतम के खिलाफ कारवाई भी कर सकती है।
दुष्यंत मीडिया के सामने बोले,
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व वरिष्ठ नेता हर विषय पर गौतम से चर्चा करेंगे और अगर पार्टी को किसी तरह के नुकसान का विषय हुआ तो कार्रवाई करने का अधिकार प्रदेश अध्यक्ष के पास है।
वर्तमान राजनीतिक हालात
अगर वर्तमान राजनीतिक हालात का विवेचन करें तो इतना तो स्पष्ट है कि फिलहाल भाजपा-जेजेपी सरकार को कोई खतरा नहीं है। भाजपा ने आठ निर्दलीय विधायकों में से 6 को कोई ना कोई पद देकर शांत कर रखा है, जेजेपी के पास भी खुद दुष्यंत, उनकी माँ नैना चौटाला तथा एक विश्वस्त एवं मंत्री पद पा चुके विधायक, अनूप धानक का तो दुष्यंत के खिलाफ जाना किसी भी अवस्था में सम्भव नहीं लग रहा है।
- इंडियन नेशनल लोक दल के एकमात्र विधायक अभय सिंह चौटाला का काँग्रेस को समर्थन देना अपने आप को खत्म करना है। अतः काँग्रेस के 31 विधायकों को यदि सात जेजेपी तथा दो निर्दलीये मिल भी जाएं, तो भी संख्या चालीस से पार नहीं पहुंचती है।
- विधान सभा में 90 में से 46 का आंकड़ा किसी भी सूरत में मुनासिब नहीं है। इसलिए भाजपा की खट्टर सरकार निश्चिन्त है, बल्कि जेजेपी की इस फूट का उसे फायदा ही होगा,अब जेजेपी का नेतृत्व अपने बाड़े की तारबंदी करने में लग जाएगा और भाजपा पर उसका प्रेशर कम हो जाएगा।
- हो सकता है जेजेपी की इस फूट के कारण उसे कोटे में मिले तीसरे मंत्री पद को भी भाजपा अपने कोटे में ट्रान्सफर कर किसी निर्दलीय को समायोजित कर अपनी स्थिति और पुख्ता कर ले।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला का यह बयान भाजपा की मज़बूती का उद्घोष करता है कि “राम कुमार गौतम का विरोध स्वर जेजेपी का आंतरिक मामला है , इसका भाजपा-जजपा सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
रामकुमार गौतम के इस बगावती कदम का निकट भविष्य में कोई चिंगारी से आग का गोला बनना दूर-दूर तक परिलक्षित नहीं हो रहा है और लगता है यह चिंगारी मात्र धुआं बनकर ही रह जाएगी। अध्यापक एम एस धनखड़ की यह टिपण्णी काफी कुछ कह जाती है,
दादा गौतम बेरोज़गारी से परेशान है। जब भी पार्टी द्वारा उनके रोज़गार का इंतजाम कर दिया जाएगा वे बिल्कुल शांत हो जायेंगे, हर बेरोज़गार की मानसिकता ऐसी ही होती है।