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“क्या हमने भड़काऊ बयान देने के लिए इनकी पार्टी को लोकसभा में बहुमत दिलाया था?”

अमित शाह और अनुराग ठाकुर

अमित शाह और अनुराग ठाकुर

चुनावी मौसम में राजनीतिक सरगर्मी काफी तेज़ हो रही है। कल 8 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए दिल्ली के वोटर्स में काफी उत्साह है। हमने दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं के बड़बोले बयान भी सुने।

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से ही हमारे पढ़े-लिखे सांसदों की बदज़ुबानी हमें सोचने पर मजबूर कर रही हैं कि क्या ये वही सासंद हैं, जिन्हें हमने लोकसभा चुनाव 2019 में वोट देकर केंद्र में शासन संभालने का मौका दिया है?

बाबरपुर की रैली में गृहमंत्री ने क्या कहा?

अमित शाह।

आज जब हम इन्हीं सांसदों की बयानबाज़ियों को सुनते व  देखते हैं, तो ऐसा लगता है कि यह चुनाव कहीं ना कहीं पार्टियों के लिए साख का प्रश्न बन गया है, जिसके कारण उनकी अपनी ज़ुबानों पर लगाम नहीं लग रहा है। हमें यह भी सोचना होगा कि क्या हमने इनकी पार्टी को भड़काऊ बयान देने के लिए लोकसभा में बहुमत दिलाया था?

बाबरपुर की एक रैली में देश के गृहमंत्री अमित शाह का बड़ा ब्यान सुनने को मिला। इस बायन में शाहीन बाग की महिलाओं को टारगेट किया गया। उन्होंने कहा,

ईवीएम का बटन इतने गुस्से के साथ दबाना कि बटन यहां बाबरपुर में दबे, करंट शाहीन बाग के अंदर लगे। अमित शाह बोले कि CAA का विरोध करने वाले नेताओं ने दिल्ली में दंगे करवाए और लोगों को गुमराह करने का काम किया।

अनुराग ठाकुर ने तो हद ही कर दी

अनुराग ठाकुर।

वहीं, दूसरी तरफ केन्द्र में बैठे वित्त राज्यमंत्री, अनुराग ठाकुर ने रिठाला में बीजेपी उम्‍मीदवार के पक्ष में आयोजित चुनावी सभा में ‘देश के गद्दारों को गोली मारो…’ के नारे लगवाए थे।

इसी कड़ी में प्रवेश वर्मा भी हैं, जो इस गणतंत्र देश के एक पढ़े-लिखे सांसद होने का दंभ भरते हैं, जिन्होंने सिर्फ वोट पाने के लिए भाषाई मर्यादा को ताक पर रखकर  एक सभा में अमर्यादित भाषणबाज़ी करते हुए चुनावी पैंतरा आजमाया और कहा,

11 फरवरी को अगर उनकी सरकार दिल्ली में आती है, तो वह 1 घंटे में शाहीन बाग खाली करवा देंगे।

इसके अलावा उन्होंने महिलाओं को लेकर भी अमर्यादित बयान दिए, जिन्हें सुनकर आज हम सोचने पर मजबूर हो रहे हैं कि इसी दिन के लिए हमने इन्हें वोट दिया था? जिन्हें हम देश का कर्ता-धर्ता समझकर देश की सत्ता चलाने के लिए कमान सौंपते हैं, अगर वे अपनी मर्यादाओं को भूलकर इस तरह की अमर्यादित बयानबाज़ी करें, तो क्या ये वाकई में सता में बैठने का हक रखते है?

क्योंकि जनता, सेवक उन्हें चुनती है जो उनके लिए उन्नति की नई राह खोल दे, ना कि इस तरह की बयानबाज़ी करते हुए उनके ऊपर ही सवाल उठा दे जिसके बाद जनता सोचने पर मजबूर हो जाए कि इन्हें दिल्ली के दिल में जगह देनी है या नहीं?

खैर, देखना दिलचस्प होगा कि विवादित बयान देने वाले ये राजनेता अपनी पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत दिला पाते हैं या नहीं।

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