Site icon Youth Ki Awaaz

ज़िन्दगी के कई सवालों के इर्द-गिर्द बुनी गई है ‘ताजमहल 1989’

विश्व में प्रेम की सबसे बड़ी मिसाल ताजमहल, शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था। लोगों ने इसे अब तक प्रेम के प्रतीक के रूप में ही जाना है। ताजमहल को फिल्मों में कई बार फिल्माया गया है। उसके प्रांगण में गाने फिल्माए गए हैं। उसे किरदार की तरह पेश किया गया है।

किन्तु ताजमहल के आस-पास वेब सीरीज़ बनाने का आइडिया बिल्कुल नया है। ताजमहल के नाम पर बनी इस हालिया वेब सीरीज़ में जीवन की कई परते हैं।

ताजमहल 1989 का सीन।

एक खास वक्त की कहानियां हैं ताजमहल 1989

पुष्पेंद्र नाथ मिश्रा द्वारा निर्देशित सीरीज़ ‘ताजमहल 1989’ में दिखाई गई प्रेम कहानियां एक खास वक्त से हैं। वो ज़माना जब ना कोई मोबाइल फोन होता था और ना ही इंटरनेट। चिट्ठी लिखने का दौर था।

अलग-अलग प्रेम कहानियां की सीरीज़

ताजमहल सीरीज़ में लखनऊ विश्वविद्यालय के कैंपस में पल रहे कई प्यार के किस्से दिखाए गए हैं। कई कहानियां हैं, जो एक साथ चलती हैं। एक ओर फिलॉस्फी के प्रोफेसर अख्तर बेग और उनकी पत्नी सरिता का प्यार है। दूसरी ओर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे नेता और भौतिक विज्ञान की छात्रा रश्मि की मुहब्बत। कहानी चुनौतियों की बात करती है। वो जो उस समय से लेकर आज तक प्यार करने वालों के सामने प्रश्न बनकर खड़ी हैं।

ताजमहल 1989 का सीन।

रश्मि (अंशुल चौहान) और धरम (पारस प्रियदर्शन) के बीच भी एक कहानी बढ़ रही है। इन कहानियों में अपनी अलग उलझनें, प्रेम व समाज के रिश्तों को दिखाया गया है। ऐसा ज़माना जब मोबाइल नहीं था। उस दौर में भी रिश्ते निभाए जाते थे। ताजमहल में ऐसे कई मोड़ों से हमारा सामना कराता है। कौन-सा मोड़ कहानी को मोड़ेगा देखना दिलचस्प होगा। एक खास दौर में प्यार और उसकी परिभाषा को देखने का सुख यहां मिलेगा। उस ज़माने के घर और पहनावे को देखना सुखद है। एक नॉस्टेलजिया हमारे सामने है।

अभिनय के नज़रिए से भी शानदार है यह सीरीज़

अभिनय पक्ष में नीरज काबी और गीतांजलि कुलकर्णी ध्यान आकर्षित करते हैं। वहीं दानिश हुसैन व शीबा चड्ढा ने भी बेहतरीन काम किया है। एक्टिंग का मैनरिज्म उम्दा किस्म का है। घर में आम पति-पत्नी की तरह का उनका लहज़ा दिखाई देता है। इन कलाकारों के अतिरिक्त अनुद सिंह ढाका, अंशुल चौहान, पारस प्रियदर्शन ने अपने-अपने किरदार नैचुरली निभाए हैं। इक शानदार सीरीज़ में धीरे-धीरे सभी चीज़ें शानदार महसूस होने लगती हैं।

ताजमहल 1989 का सीन।

ऐसे कई सवाल हैं, जिनका कभी-ना-कभी हमसे ताल्लुक ज़रूर पड़ता है। सवालों के जवाब तलाशने में सारी ज़िन्दगी गुज़र सी जाती है। ताजमहल वेब सीरीज़ ज़िन्दगी के सवालों के इर्द-गिर्द बुनी गई है। सात ऐपिसोड की इस सीरीज़ में कई कहानियां हैं, जो एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। इसमें नब्बे के दशक की भारत की तस्वीर देखने को मिलती है। यह सीरीज़ छोटी भले लगती हो लेकिन यकीन मानिए आप इसके प्यार में आ जाएंगे।

लव स्टोरीज को फिल्म या वेब सीरीज़ में तलाशने वाले दर्शक इसे ज़रूर देखें। बहुत उम्दा बन पड़ी है यह सीरीज़। खासकर संवाद, पुष्पेंद्र नाथ मिश्र की कसी हुई लिखावट। अबोले प्रसंग और अधूरे वाक्यों को जगह देना कमाल कर गया है। एक दौर की बारीकियां काबिले तारीफ है। कुल मिलाकर नेटफ्लिक्स पर अर्से के बाद कुछ शुद्ध देसी देखने का सुख यह सीरीज़ दे रहा है। ताजमहल के आस-पास इस फिस्म की सीरीज़ पहले नहीं बनी है।

Exit mobile version