कोरोना की आपदा से जूझ रहे देश पर प्रकृति ने अम्पन तूफान से एक और कहर ढाया है। कुछ समय पहले तक जो शहर कोरोना की आपदा से शांत दिख रहे थे, वहां हवाओं और बादलों की गर्जना से दाखिल हुए अम्पन तूफान ने भयानक कोहराम मचाया।
100 किमी से भी अधिक रफ्तार से चल रही हवाओं नें कई भवनों की छतों को तहत-नहस कर दिया। ओडिशा और पश्चिम बंगाल में आए इस तूफान ने भारी तबाही मचाई। तूफान के गुज़र जाने के बाद की तस्वीरें तूफान की भयावहता साफ दिखा रही है।
WATCH- The impact of #CycloneAmphan on Kolkata Airport. An old Air India hangar has sustained maximum damage, its roof has collapsed. pic.twitter.com/zYmzDf28ah
— Zeba Warsi (@Zebaism) May 21, 2020
बिजली के खंभों पर गिरे पेड़ों ने विद्युत व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया। अधिकांश कच्ची झोपड़ियों के साथ-साथ पक्के भवनों की भी छतें पेड़ो के गिरने से ध्वस्त हो गईं। अधिकांश गाड़ियां भी इस भयंकर तूफान से जमींदोज़ हो गई हैं।
रास्ते में पेड़ों, बिजली के खंभों के गिरने से यातयात बाधित हो गया। यद्यपि तूफान आने की पूर्व सूचना के कारण एहतियातन लाखों लोगों को बाहर निकाल लिया गया था जिसके कारण जीवन की क्षति कम हुई है।
खबरों की माने तो बंगाल में 72 लोगों की जानें गई हैं। यह भी कहा जा रहा है कि अधिकांश स्थानों पर तूफान की भयावहता से संचार सेवाएं ठप्प हो गई हैं। ऐसे में उन स्थानों की हानि के विषय में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है।
तूफान का प्रभाव दक्षिण चौबीस परगना के सुंदरवन क्षेत्र में भी रहा है। वन विभाग ने क्विक रिस्पॉन्स टीम का गठन पूर्व में ही कर लिया था ताकि तूफान के कारण इस क्षेत्र के बाघ मानव बस्तियों की तरफ ना चले जाएं।
इस टीम ने सॉल्ट लेक इलाके में अपना नियंत्रण कक्ष बनाया है। इस टीम का काम यह देखना था कि यदि बाघ अपने मूल स्थान से निकलकर बस्तियों की ओर जाते हैं तो उन्हें ट्रैक करते हुए अपने मूल स्थान की तरफ वापस भेज दिया जाए।
It’s devastating everywhere… #PrayForBengal #cycloneamphan pic.twitter.com/jA98slApHC
— Kushalroy (@Kushal6381) May 21, 2020
यद्यपि पहले से उपाय कर लेने के कारण शुरुआत के आंकड़ों में जान की कम क्षति हुई है लेकिन सम्पत्ति का काफी नुकसान हुआ है। खड़ी फसलें, खेत आदि को इस तूफान ने नष्ट, भ्रष्ट कर दिया है।
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो यहां तक कहा कि इस तूफान के मुकाबले कोरोना संकट कुछ भी नहीं है। उनका यह भी कहना है कि उन्होंने अपने जीवन मे किसी तूफान से महानगर का इतना नुकसान होते नहीं देखा है। उनके इस वक्तव्य से आसानी से तूफान की भयावहता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
हमें ये प्रयास करने होंगे कि आगे से ऐसे तूफानों से एक भी जान ना जाए। इसके साथ ही जिन लोगों की फसलें खराब हुई हैं, जिनका घर नष्ट हो गया है, उन्हें फिर से बसाना चुनौती होगी।
यद्यपि प्रकृति जब रौद्र रूप धारण करती है, तो उसके आक्रोश से कुछ भी बचाना मुश्किल होता है फिर भी ऐसे तटीय इलाके, जहां तूफान आने की संभावना रहती है, ऐसी जगहों में सार्वजनिक स्थलों के निर्माण के समय इस बात का ख्याल रखा जाना चाहिए कि वे इस तरह बनें ताकि अधिक-से-अधिक आपदा को झेल सकें।