Site icon Youth Ki Awaaz

क्यों आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं पटना को स्मार्ट बनाने वाले मधुबनी पेंटर्स?

अगर अब आप पटना जाइएगा तो पहले वाला पटना नहीं लगेगा। पुरानी दीवारों पर पान-गुटखा का पीक नहीं, बल्कि मधुबनी पेंटिंग दिखाई पड़ते हैं। यह चमत्कार कर दिखाया है पटना आर्ट कॉलेज के स्टूडेंट्स ने।

इन लोगों ने दिन-रात मेहनत कर कुछ ही दिनों में पटना को मधुबनी पेंटिंग से सजाकर, काया पलट कर दिया है। मगर पटना को मधुबनी पेंटिंग से सजाने वाले कलाकारों से काम करवाकर पैसा नहीं दिया गया। वे अपनी मेहनत के पैसों के लिए दर-दर की ठोकर खाने को विवश हैं।

कलाकारों के नाश्ते और खाने का पैसा खुद सत्य प्रकाश ने किया वहन

मधुबनी पेंटिंग करते कलाकार। फोटो साभार- सुरजीत

बिहार की राजधानी पटना को केंद्र सरकार की योजना स्मार्ट सिटी (Smart City Project) के तहत चयनित कर चमकाने का काम में शुरू हुआ। इसी  प्रोजेक्ट के तहत पटना की दीवारों को मधुबनी पेंटिंग से सजाने का पटना नगर निगम से टेंडर जारी किया गया।

इसमें आर्ट कॉलेज के सीनियर छात्र सत्या प्रकाश और विशाल मिश्रा की कंपनी को टेंडर मिलता है। सत्य प्रकाश खुद कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना सत्र-2014-2018 (एप्लाइड आर्ट) के स्टूडेंट रह चुके हैं और विगत कई वर्षों से रंगकर्म से जुड़े हैं।

पटना नगर निगम से टेंडर की औपचारिकता खत्म होने के बाद विशाल मिश्रा व उनके सहयोगी रेणुजानंद के निर्देशानुसार काम शुरू किया गया। सत्यप्रकाश ने  बताया, “जब हम काम शुरू किए तो शुरुआत में इतना बड़ा काम नही लग रहा था। जितनी दूरी में दीवार पर वॉल पुट्टी की रहती थी, बस उसी दीवार पर पेंटिंग करनी थी। धीरे-धीरे दीवार पर पुट्टी होता गया और हमलोग उस दीवार पर पेंटिंग करते गए।”

यह काम वो और उनकी टीम (28 से 30 लोग) लगातार 40 से 42 दिन तक करते रहे। इस दौरान इन लोगों ने यह काम वॉर्ड नंबर 57 (मेयर सीता साहू के घर के नज़दीक) मीना बाजार से NMCH हॉस्पिटल के गेट तक किया। सभी कलाकारों के नास्ते, खाने व भाड़े तक का पैसा सत्य प्रकाश को खुद ही देना होता था फिर एक दिन उनके पास पैसे खत्म हो गए।

जारी कर दिया गया फर्ज़ी चेक

मधुबनी पेंटिंग।

जब सत्यप्रकाश ने विशाल से कुछ पैसे की मांग कि तो विशाल मिश्रा ने कहा कि अभी बिल पास नहीं हुआ है। उसके बाद सत्यप्रकाश के पास पैसे नहीं बचे थे। उन्होंने मजबूरीवश काम बंद कर दिया मगर वादे के मुताबिक 15 दिन बाद जब सत्यप्रकाश पैसे के हिसाब के लिए विशाल मिश्रा से मिले तो उन्होंने पहचानने से इंकार कर दिया। यही नहीं, बल्कि विशाल मिश्रा अपने सहयोगी रेणुजानंद को भी धोखा देकर फरार हो गए।

सत्यप्रकाश व रेणुजानंद ने मिलकर पटना नगर निगम कमिश्नर ऑफिस में शिकायत दर्ज़ की जिसके बाद कमिश्नर के कहने पर विशाल मिश्रा ने सत्यप्रकाश की टीम को 16 लाख पचास हज़ार की जगह कमीशन काटकर 13 लाख रुपये का चेक दिया। जबकि रेणुजानंद को लगभग 8 लाख की जगह 3 लाख 50 हज़ार का चेक दिया।

पटना नगर निगम कमिश्नर ऑफिस के भरोसा दिलाने पर कम्प्लेन वापस ले लिया गया मगर जब उक्त चेक को बैंक में लेकर पहुंचने पर “स्टॉप चेक” बताया गया। जब इसके बारे में पूछने के लिए चेक जारीकर्ता विशाल मिश्रा को कॉल किया गया तो उन्होंने गाली-गलौज कर कहा, “पैसा नहीं दूंगा।”

आत्महत्या करने को मजबूर हैं कलाकर

मधुबनी पेंटिंग।

सत्यप्रकाश उस चेक को लेकर बहादुरपुर थाने में गए, जहां उनको बताया गया कि चेक का केस कोर्ट में लगेगा। जिसके बाद वकील की मदद से कोर्ट में केस फाइल किया गया जिसमें कोर्ट के समन के वावजूद विशाल मिश्रा उपस्थित नहीं होते हैं। उनके नाम पर अरेस्ट वॉरंट जारी होना ही था कि लॉकडाउन हो जाता है।

अब चूंकि सत्यप्रकाश ने अपने साथी कलाकारों के साथ मिलकर पटना को स्मार्ट बनाने का बीड़ा उठाया था। इसलिए उनके साथी पैसे के लिए उनके पास ही आते हैं। वे अपनी जेब से ज़रूरत अनुसार अपने साथ काम किए कलाकारों को पैसा देते गए।

मगर लॉकडाउन के कारण ज़्यादातर लोग बेरोज़गार हो गए हैं। अब इस स्थिति में उन लोगों को भूखे मरने की नौबत आ गई है। वे हर प्रशासनिक अधिकारी से गुहार लगाकर थक चुके हैं। सत्यप्रकाश ने दुखी मन से कहा, “मेरी कहीं सुनवाई नही हो रही है। अब लगता है हमारे पास आत्महत्या के सिवाय कोई चारा ही नहीं बचा है।

सत्यप्रकाश, सैदपुर के स्लम एरिया में रहते हैं और स्लम के बच्चों को लेकर लगातार नाटक करते रहते हैं। अभी हाल ही में उनकी काफी चर्चा हुई थी, जब तक्षशीला एजुकेशन सोसायटी की ओर से मिली 20 हजार रुपये की आर्थिक मदद को अपने साथ काम करने वाले स्लम के बच्चों में बांट दिया था।

अगर हम देखें तो मधुबनी पेंटिंग के कारण बिहार का देश-विदेश में नाम हो रहा है। इन्हीं कलाकारों के बल पर पटना स्मार्ट बन गया मगर अपने ही शहर में शाहजहां की ही तरह नीतीश सरकार के अधिकारियों की उदासीनता के कारण इन कलाकारों  को धोखा मिला।

भले ही मामला कोर्ट में हो मगर इन युवा कलाकारों को बिहार सरकार से अभी भी उम्मीद है कि उनके साथ न्याय किया जाएगा। केंद्र और बिहार सरकार को भी इन कलाकारों की सुध लेनी चाहिए, नहीं तो उनको देश कभी माफ नहीं करेगा।

Exit mobile version