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“नीतीश कुमार, हम बिहार के लोग कोरोना से बचें या बाढ़ के प्रकोप से?”

बिहार में जहां हर रोज़ कोरोना अपना नया रिकॉर्ड तोड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ बाढ़ की विभीषिका भी चरम पर है। इस वक्त बिहार के लोगों की स्तिथि इतनी खराब हो गई है कि वे समझ नहीं पा रहे हैं कि खुद को कोरोना के कहर से बचाएं या बाढ़ की लहर से।

हालात ऐसे हो गए हैं कि अगर कोरोना से बचना चाहे तो घर में रहना पड़ेगा। अगर घर में रहे तो बाढ़ से कौन बचाएगा? आज बिहार के लोगों के ज़हन में यही एक सवाल है कि आखिर खुद को कैसे बचाएं इस महामारी से?

जल संसाधन विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, लगातार हो रही बारिश की वजह से गंगा, बागमती, बूढी गंडक, कमला बलान, लालबकिया, पुनपुन, अधवारा, खिरोई, महानंदा तथा घाघरा नदी विभिन्न स्थानों पर अब भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

ढह रहे हैं कच्चे मकान

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- सोशल मीडिया

हालत यह है कि कई ज़िलों में बांध टूट गए हैं, जिस कारण गाँवों में लोगों के घरों के अंदर तक बाढ़ का पानी घुस गया है। यही नही, कई लोगों के कच्चे घर ढह गए हैं। इस वजह से आज कितने लोग बेघर हो गए हैं। आज इनकी हालत देखकर एक कहावत याद आ रही है, “आगे कुआं पीछे खाई।” अर्थात, ना घर में जान सुरक्षित है और ना ही बाहर में।

अगर घर मे रहना चाहें तो कितनों के पास घर ही नहीं है और जिनके घर हैं, उनमें पानी इतनी घुस गई है कि इंसान रह नही सकता है। बाहर में कोरोना का असर इतना है कि सांस लेने में भी डर लगता है।

बाढ़ के भयावह सैलाब के कारण बिहार के विभिन्न ज़िलों में बांध, घर, पुल और सड़क के बहने का सिलसिला जारी है।
खबरों की माने तो 12 ज़िलों में करीब 30 लाख की आबादी बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित है।

आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, पूर्वी चम्पारण, पश्चिम चंपारण, खगड़िया, सारण और समस्तीपुर जिले के 101 प्रखंडों के 837 पंचायतों के 29 लाख 62 हजार 653 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं.

बाढ़ की स्थिति कितनी भयावह है इसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जल सैलाब के कारण चनपटिया में घोघा पंचायत जाने वाली सड़क 50 फीट में बह गई। बात दें सड़क में पुल भी साथ-साथ बह गया है।

यही नहीं, विश्व प्रसिद्ध केसरिया बौद्ध स्तूप परिसर भी झील में तब्दील हो गया है। पिछले 24 घंटे में राज्य के अलग-अलग ज़िलों में बाढ़ के पानी में डूबकर मरने से अब तक 27 लोगों की मौत भी हो गई है।

कोरोना संक्रमित मरीज़ों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है

अस्पताल में कोरोना मरीज़। फोटो साभार- सोशल मीडिया

वहीं, अगर बात करें कोरोना की तो आपको बता दें कि बिहार में कोरोना संक्रमित मरीज़ों की संख्या बढ़कर 41 हज़ार से भी अधिक हो गई है।

अब सवाल यह है कि आखिर हम जैसे लोग करें तो करें क्या? हर साल की तरह इस साल भी बाढ़ आई है और हमेशा की तरह इस साल भी सरकार हमें डूबने से बचा रही है और हम तक 2 वक्त का खाना पहुंचा रही है।

आखिर क्यों सरकार इसका कोई हल नहीं निकाल रही है? सरकार क्यों नहीं सोचती उनके बारे में जो तिनका-तिनका जोड़कर घर बनाते हैं और बाढ़ आकर सब कुछ बहा ले जाती है।

उन गरीब मज़दूरों की ज़िन्दगी वही आकर ठप्प हो जाती है, जहां से वे सालों साल लगाकर एक-एक रुपये बचाकर खुद को बाहर निकालते हैं। क्या ऐसे विकसित होगा बिहार? क्या इस दिन के लिए हम सरकार को वोट देते हैं?

बाढ़ ने कैसे मेरे रिश्तेदारों को प्रभावित किया

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- सोशल मीडिया

यह मैं इसलिए बोल रही हूं, क्योंकि इन सब परिस्तिथियों का सामना मैं खुद कर रही हूं। मैं मोतिहारी की रहने वाली हूं, जहां एक साथ बाढ़ के पानी मे डूबने से 8 लोगो की मौत हो गई है।

हालात ऐसे हैं कि बात जान पर बनी हुई है। रात को कोई सो भी नहीं पा रहा है। इस डर में कि ना जाने कब पानी घर में आ जाए और हमें बहा ले जाए। आखिर कब तक इस डर में ज़िन्दगी गुज़रेगी?

आपको बता दूं कि मैंने अपने रिश्तेदार को देखा है रोते बिलखते हुए। उन्होंने सोचा भी नही था कि उनको यह दिन देखना पड़ेगा। रात को जब वे सो रहे थे तो अचानक उनके घर मे इतना पानी आ गया कि उनको कुछ सोचने का मौका ही मिला। बस जैसे-तैसे अपनी जान बचाकर भागे। आज उनके पास कुछ नही बचा है सिवाए जान के।

बता दूं कि उन्होंने एक-एक रुपया बचाकर अपनी बेटी की शादी के लिए सामान खरीदा था, जो एक पल में पानी मे बह गया।

मेरी रिक्वेस्ट है हमारी सरकार से कि कृपया कर उन लोगों के बारे में एक बार ज़रूर सोचें, जो दो वक्त की रोटी के लिए पैसे कमाते हैं और उनमें से पैसे बचाकर अपना घर बनाते हैं और ज़िन्दगी गुजारते हैं।

यह सोचकर कि कल अच्छा होगा हमारे साथ लेकिन होता क्या है? बाढ़ आती है और उनके अरमानों पर पानी फिर जाती है। अब तो कोई हल निकाल लो ताकि अगली बार फिर से यह दिन देखना ना पड़े या अब भी हमेशा की तरह आगे भी तमाशा देखना है?

नीतीश कुमार जी, उठ जाइए अब देखिए बिहार की हालत और खासकर उनकी हालत जिन्होंने आपको वोट देकर भरोसा कर मुख्यमंत्री बनाया था।

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