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“गे डेटिंग साइट के ज़रिये जब एक शादीशुदा आदमी से मेरी मुलाकात हुई”

वो ख्वाब तो शायद खत्म हो गया पर अपना असर, यादें और कुछ सवाल शायद हमेशा के लिए छोड़ गया। अपने बैग से एक सफेद पुरानी-सी डिबिया को मेरी ओर बढ़ाते हुए कहने लगा। इसे देखकर तुम इमोशनल हो जाओगे। उसने कहा, “सूंघों इसे।”

मैंने सूंघा तो कुछ खुशबू आई। कुछ साल पहले मैं पेरिस गया था। वहां मैं एक व्यक्ति से मिला और मुझे उस से प्यार हो गया। अपने मोबाइल में मुझे उसकी तस्वीरें दिखाने लगा। मैंने कहा, “फ्रेंच लड़का था क्या?”

उसने कहा,” नहीं चिली से था। ना उसे मेरी भाषा आती थी ना मुझे उसकी, पूरा वक्त हम गूगल ट्रांसलेटर से बात करते रहे, हमारी मुलाकात इतनी खूबसूरत थी कि मैं आजतक उसकी खुशबू हमेशा साथ लिए घूमता हूं।”

उसकी बात से मुझे एक दम झटका लगा। मैं सोचने लगा यह कैसे पूरी ज़िन्दगी अपनी पत्नी के साथ नाटक कैसे कर पाएगा। इसने किन हालातों में शादी के लिए “हां” कहा होगा।

पिछली दफा मिला था, तो उसके बेहद खूबसूरत लम्बे घुंघराले बाल थे। हमारे बेहद हसीन पलों में जब उसका चेहरा मेरे चेहरे के सबसे करीब था। मैंने कहा कि तुम अपने बाल खोल दो और अपनी उंगलियां उसके बालों में फंसा कर मैं उसके प्यार में खो गया था।

इस बार उसके बाल कटे हुए थे यानी बहुत छोटे थे। पूछने पर उसने कहा मैं यह बाल अब फिर बढ़ा रहा हूं। मैं समझ गया उसकी शादी के दौरान ज़रूर किसी के दबाब में उसने बाल कटवाए होंगे, क्योंकि हमारे समाज के अनुसार, असली मर्द लम्बे बाल नहीं रखते।

वह कभी अपनी बनाई रंगोलियां और पेंटिंग्स, तो कभी बेक किए हुए केकस की तस्वीरें दिखाता। फिर स्कूल में हमेशा टॉप आने के किस्से सुनाने लगता। फिर उदास हो जाता और कहता, “कभी-कभी लगता है कि मैं ‘गे’ हूं और कभी लगता है नहीं हूं। मैंने कहा, “तुम जो भी हो बहुत प्यारे हो, तुममें वो हुनर है जो किसी दूसरे के पास नहीं है।”

बातों-ही-बातों में मेरी नज़र उसकी पतली टांगों पर पड़ी, ध्यान से देखा तो उसका वजन भी कुछ कम लगा। इस बार तुम कुछ अलग लग रहे हो। मैंने पूछा,”तुम में कुछ बदलाव आया है।”

हां, शादी के बाद वजन काफी कम हो गया है, शायद कुछ मानसिक परेशानी है मुझे। मैं समझ गया और कहा क्या तुम्हारा रोने का मन है? तो रो सकते हो, मन हल्का हो जाएगा। हमें रोज़ रात खुद को बिस्तर पर साबित करना होता है और पूरी उम्र सब सही है, सब नार्मल है कहने का अभिनय करते रहते हैं। कुछ गे पुरुष तो वायग्रा तक खाते हैं खुद को बिस्तर पर साबित करने के लिए।

उसकी लम्बी उंगलियों में बेहद खूबसूरत अंगूठियां थीं, थोड़ा अनूठा-अलग डिज़ाइन था तो मैंने पूछा इसमें से कौन-सी अंगूठी तुम्हारी शादी की रिंग है? मेरी शादी की रिंग थोड़ी बड़े साइज़ की थी और मैंने कभी उसे ठीक नहीं करवाया, उसने बताया और हम एक-दूसरे की तरफ देख के मुस्कुराने लगे। मेरी उंगलियाँ भी सूनी हैं।

शादी की अंगूठी बार-बार झूठी शादी का अहसास दिलाती है इसलिए हम अक्सर बहाने ढूंढते हैं जिससे शादी को ज़ाहिर करने से बचा जा सके।

उस रात वो असली व्यक्ति था, उसने वो बातें कहीं जो कभी खुद से भी ना कहीं हों। उसका हमेशा खुद को किसी-न-किसी कला में व्यस्त रखना एक तरह का अभिव्यक्ति था या खुद को भुलाने जैसा था।

अक्सर जब हम लोग गे साइट्स के माध्यम से मिलते हैं, तो अपने शरीर या दिमाग की ज़रूरत को पूरा करने के लिए मिलते हैं। जब हमारा काम निकल जाता है, तो मुँह फेर कर अलग हो जाते हैं। जैसे हम कुछ महसूस ही नहीं करते, हमारे अंदर भावनाएं ही नहीं हैं।

पर उस रात ऐसा लगा जैसे दो रूहों का मिलन हुआ था। बेहद खूबसूरत रूहानी मिलन। हमारे बीच में कभी सेक्स नहीं हुआ। उसने पूछा, “तुम्हारा क्या? क्या तुम्हे नहीं निकालना?” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “हाहा मेरा ओर्गेस्म तुम्हें सुनकर और मिल कर ही हो गया।”

बातें करते करते हम सो गए पर मेरा हाथ जैसे उसका था, उसने ऐसे अधिकार से हाथ अपने सीने से चिपकाया हुआ था जैसे पता नहीं कब से हमारा रिश्ता हो और अब मुझे वह कभी नहीं जाने देगा। मेरी आदत बहुत खराब है कि मैं किसी को गले लगाकर या हाथ पकड़कर नहीं सो सकता, नींद नहीं आती। मैंने धीरे से अपना हाथ सरकाया और पलट कर सो गया।

कुछ दिन पहले मैंने बहुत ध्यान से उसके पिता का घर देखा जहां वो भी रहता है। बड़ा लोहे का गेट, बड़ी- बड़ी दीवारें जैसे बड़ी जेल हो और उस जेल की एक दीवार में उसकी शख्सियत का चिन्ह था, एक खामोश म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट।

असल में हम घरों में नहीं रहते, हम जेलों में रहते हैं। जिनको यह भी नहीं पता कि उनका बच्चा क्या चाहता है उनको क्या आप माँ-बाप कहेंगे? बड़े घर, रूपए और बिज़नेस की कीमत है कि हम सब अपना मुंह बंद रखें, शादी और सेक्स तुम्हारी मर्ज़ी के व्यक्ति से करें और पूरी ज़िन्दगी झूठे रिश्तों का बोझ ढोते रहें।

हमेशा सोचता हूं कि हमने किसी की ज़िन्दगी बर्बाद की है और हमारे जैसे व्यक्ति दुनिया की किसी भी महिला के जीवनसाथी बनने के लायक नहीं हैं, क्योंकि हम ऐसे बने ही नहीं हैं। क्या बोलें उस औरत को जिसकी कोई गलती ही नहीं हैं। कैसे बोलें?

समाज ने अपनी झूठी शान और मर्दानगी साबित करने का बोझ जो हमारे कन्धों पर डाल रखा है। हमेशा डरता हूं, कहीं तुम्हें शक ना हो, अगर मेरी यौनिकता का राज़ खुल गया और तुम घर छोड़ कर चली गई तो, मैं अपने माँ-बाप और समाज को क्या कहूंगा?

हिम्मत नहीं होती कि तुम्हारी आंखों में देखकर बात कर सकूं। आज हम इन परिस्थितियों में खड़े हैं, क्योंकि समाज के बनाए नियमों को तोड़ने की हिम्मत हममें नहीं है।

मेरे घर के सामने पहाड़ी से वह जगह साफ दिखती है जहां हम मिले थे, मैं अक्सर वहां देखता हूं और अमृता प्रीतम की यह कविता गुनगुनाता हुआ उसे याद करता हूं।

मैं तुझे फिर मिलूंगी

कहां, कैसे पता नहीं

शायद तेरे कल्पनाओं

की प्रेरणा बन

तेरे केनवास पर उतरुंगी

या तेरे केनवास पर

एक रहस्यमयी लकीर बन

खामोश तुझे देखती रहूंगी

मैं तुझे फिर मिलूंगी

कहां, कैसे पता नहीं


लेख: सीक्रेट राइटिंग्स, चित्रण : प्रवीण कुमार ट

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