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“स्कूल में पीरियड्स के नाम पर मुझे डराया जाता था”

पीरियड्स

पीरियड्स

मेरी पीरियड की कहानी भी सबकी कहानी की तरह काफी अलग है। पीरियड्स के बारे में सातवीं क्लास से ही सब कुछ पता था। घर में बड़ी बहन है तो उसने पहले ही सब समझा दिया था। जब मैं नौवीं क्लास में थी, तब मुझे पहली बार पीरियड शुरू हुए थे और मैं बहुत खुश थी।

खुश होने की वजह सिर्फ इतनी-सी थी कि मेरी क्लास की सारी सहेलियों को पीरियड होते थे और मैं सबसे आखरी थी, जिसे 15 साल की उम्र तक भी पीरियड शुरू नहीं हुए थे।

दरअसल, क्लास के दोस्तों ने एक डर पैदा कर दिया था मेरे अंदर कि जिस लड़की के पीरियड्स समय पर नहीं आते हैं, वह कभी माँ नहीं बन पाती, जो ठीक नहीं होगा। शुरू में इन बातों से फर्क नहीं पड़ता था लेकिन धीरे-धीरे मैं भी इस बारे में सोचने लगी और डर बढ़ता गया।

डर इतना बढ़ गया था कि लोगों से पूछने लगी थी पीरियड्स जल्दी कब होते हैं। तो किसी ने कहा खट्टा खाने से जल्दी शुरू हो जाते हैं। मैंने शुरू कर दिया अचार और इमली खाना फिर भी कोई असर नहीं हुआ। 9 फरवरी 2014 को फाइनली मुझे पहली बार पीरियड्स हुए।

पीरियड के दौरान मैं घर पर ही थी। सुबह का समय था सोकर उठी थी और उठने के बाद देखा तो सारे कपड़ों में खून ही खून लगा है लेकिन यह सब देखकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था और मम्मी, बहन, चाची सबको बताया जाकर एकदम खुश होकर।

यहां तक कि गाँव में फोन करके दादी और बुआ को भी बताया कि मेरा पहला पीरियड शुरू हो गया। मुझे याद है उन दिनों मेरे से कोई काम करने को नहीं कहा गया था। मस्त मज़े में इधर-उधर डोल रही थी। बाद में सहेलियों को कॉल करके बताया कि मैं भी पीरियड्स से हो गई बाबा। असल में वो खुशी डर खत्म होने की थी।

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