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Youth Ki Awaaz पर 2018 में हिंदी की 35 सबसे बेहतरीन स्टोरीज़

Youth Ki Awaaz आपका अपना प्लैटफॉर्म है जहां आप जैसे हज़ारों यूज़र द्वारा ज़रूरी मुद्दों पर आवाज़ उठाई जाती है। आप सबको बधाई 2018 में सालभर बदलते मुद्दों और बदलती चर्चाओं के बीच आपने अपनी अलग पहचान बनाई, अपनी सोच को बिना डरे सबके सामने रखा। आपसबका बेहद ही ज़रूरी मुद्दों पर जमकर लिखने और अपनी बात कहने का।

हम लेकर आए हैं म YKA पर पब्लिश की गई 35 ऐसी हिंदी स्टोरीज़ जिन्होंने ना सिर्फ हमें मजबूर किया अलग-अलग मुद्दों पर गहराई से सोचने के लिए बल्कि हिम्मत दी पारंपरिक मीडिया के शोर के बीच सहज़ता से सार्थक चर्चा करने की-

1) घर में बोई जाने वाली जेंडर असमानता की बीज को कब तक उखाड़ा जाएगा?

‘काश! तुम्हारा सर्वगुण संपन्न होना भी मेरी तरह कंप्लसरी होता भाई’

तुम भी कुछ साल बाद एक लड़की से शादी करोगे, कहने को प्यार करोगे, लेकिन वो प्यार उसके घरेलू दासी बनने का वेतन होगा।

2) बिहार में पकड़ुआ बियाह के नए मामले सामने आना वाकई चिंताजनक है।

पकड़ुआ बियाह एक सामाजिक कुरीति है, कोई समानता का आंदोलन नहीं

पकड़ुआ बियाह के बाद लड़की को ज़बरदस्ती ससुराल भेज दिया जाता है, ज़ाहिर है कि ससुराल वाले उसे बहु के रूप में स्वीकार नहीं कर पाते।

3) ना ही आज तक किसी को पकड़ा गया और ना ही ये परंपरा रुकी।

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में हॉस्टल की लड़कियों को रात में लड़के देते हैं गाली

जैसी गालियां हमने जीवन भर नहीं सुनीं वो गालियां अलाहाबाद यूनिवर्सिटी में हमें बड़े सलीके से सुनाई जाती हैं।

4) सेक्स एक परस्पर क्रिया है जिसमें दोनों पार्टनर के आनंद का ध्यान रखना होना होता है, इसे हमने रॉकेट साइंस बना लिया है।

पुरुषों का सेक्स प्लेज़र और महिलाओं का सेक्स गंदी बात!

एक महिला अपनी सेक्शुअल डिज़ायर ज़ाहिर कर रही है, तो वो चरित्रहीन नहीं हो जाती है।

5) प्यार का कोई भी उत्सव जाति, धर्म, जेंडर और ईगो के बीच बंटा हुआ नहीं होना चाहिए।

हम प्रेम के उत्सव के गुनाहगार लोग हैं

इश्क को अपने शीशमहल को बचाए रखने के लिए कई चेक पॉइंट्स से गुज़रना होता है। मसलन वह दूसरी जाति, धर्म का न हो और समान लिंग का भी न हो।

6) मैंने फीस में कुछ राहत देने के लिए भी आवदेन किया था, लेकिन उसे भी मान्य नहीं किया गया।

माखन लाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी ने मेरा 1 साल बर्बाद किया क्योंकि मैं एक दलित छात्र हूं

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में जातिवाद का दंश झेलने वाले स्टूडेंट और फैकल्टी के यहां ऐसे दर्जनों किस्से हैं।

7) कभी झूठी शान के नाम पर तो कभी लव ज़िहाद के नाम पर मासूम मुहब्बत को कुचलने की साज़िश होती रहती है।

मज़हब से परे सुमित चौहान और अज़रा परवीन के मुहब्बत की कहानी

जब मैंने और अज़रा ने शादी का फैसला लिया तो हमारे मन में भी तमाम उलझने और डर था। मैं हरियाणा के गांव से था और वो पुरानी दिल्ली से।

8) हम लड़कियां ‘अच्छी लड़की’ के वर्ग में आने के चक्कर में अपनी स्वतंत्रता को ताक पर रख देती हैं।

“मैं लिखती हूं ताकि फिर किसी घड़ी की सुई ना तय करे कि एक लड़की कब बाहर जाएगी”

उस नियमावली को फाड़ने का वक्त आ गया है जिसमें लड़की के बालों की लंबाई से लेकर दुपट्टे की चौड़ाई तक तय है।

9) हर महीने 1000, हर दिन 33 और हर घंटे 1 से 2 किसान अपनी जान ले लेते हैं।

जहां हर दिन 33 किसान आत्महत्या करें, वहां की सरकार देशभक्त नहीं हो सकती

”देश के सबसे बड़े जुमलेबाज नरेंद्र मोदी, जो 2014 में बोल रहे थे ‘बहुत हुआ किसानों पर अत्याचार, अबकी बार मोदी सरकार’, अब बोल रहे हैं कि 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी कर देंगे।”

10) त्योहार भी महिला उत्पीड़न का ज़रिया भर बनकर कैसे रह गया है?

भाभियों के स्तनों और जननांगों में रंग लगाने का मौका तलाशने वाली ये कैसी होली?

यह एक बीमारी है जिसे बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में रह रहे अधिकांश लोगो ने रिवायत बना दिया है।

11) भोजपुरी में गुरुत्वाकर्षण का मंज़र ये है कि ‘रिमोट से लहंगा तक उठा दिया जा रहा है।’

‘गंगा मैया पियरी चढ़इबो’ से लेकर ‘रिमोट से लहंगा उठाने’ तक भोजपुरी सिनेमा के 55 साल

भोजपुरी सिनेमा को रुलाने में केवल सिनेमादारों का ही हाथ नहीं है, हमने भी इस बोली की आँख में कम मिर्च नहीं डाला है।

12) कोई पत्रकार कैसे ऐसी महिला द्वेषी खबर लिख सकता है?

‘चरित्रहीन स्त्री’ की पहचान करवाने वाली मीडिया संस्थाओं की सोच पर शर्म है

एक ख्याति-प्राप्त मीडिया कैसे अपने न्यूज़ पोर्टल में ऐसी घटिया बात छाप सकता है?

13) रूढ़िवादी पुरुष सत्तात्मक समाज में माँ के मातृत्व का मात्र उपभोग किया जाता है।

क्या मातृत्व के लिए महिला होना ही ज़रूरी है?

“मातृत्व का उद्भव मनुष्य के ह्रदय से होता है किसी विशेष लिंग के निजी अंगों से नहीं।”

14) पीरियड्स में छुआछूत और असामान्य व्यवहार मानसिक रूप से असहज और परेशान कर सकता है

मेरी बेटी का वो पहला पीरियड्स था जब मैं उसे वैष्णो देवी घुमाने ले गई

इस घटना को आप सबसे शेयर करने का मकसद यही है कि इसे टैबू ना समझें।

15) क्या टोपी पहनकर इफ्तार में जाना या किसी मुस्लिम का होली-दीवाली में शामिल होना सेक्युलरिज़्म है?

अपने देश भारत में सेक्युलर होना बड़ा मुश्किल है

“मुझे एक बात समझ आ गई पिछले महीनों में कि इस मुल्क में सेक्युलर लोगों की तादाद ना के बराबर है।”

16) हममें से अधिकांश लोग, किसी भी प्रकार के सेक्स संबंधी समस्याओं को लेकर डॉक्टर के पास जाने से डरते हैं।

सेक्स की किस समस्या के लिए किस डॉक्टर के पास जाए सबकी जानकारी है यहां

एजेंट ऑफ इश्क आपको ये बताएगा कि किस प्रकार की बीमारी में किस तरह के डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

17) मेरे दिमाग में आज भी वो डर या शर्म बरकरार है।

सेक्स की समझ होने पर एहसास हुआ कि बचपन में मैं कितनी गलत हरकतें करता था

मुझे समझ नहीं आता मैं अपने बच्चों को ये सब करने से और इस सबका शिकार होने से कैसे बचा पाउंगा?

18) सिर्फ एक समुदाय के लोगों को लेकर देश महान नहीं बन सकता

“मेरे दोस्त के घर वालों को लगा मैं चमार हूं इसलिए मुझे गंदे ग्लास में चाय दी गई”

एक दलित के साथ किसी तथाकथित फॉरवर्ड कास्ट के घर कैसा सुलूक होता है, ये मुझे उस दिन पता चला।

19) शायद तुम एक बेहतर भारतीय बन सको और समाज, देश के लिए कुछ कर सको।

“खेलने की उम्र में तुम्हें किताब दे रहा हूं ताकि बड़े होकर तुम सांप्रदायिकता से बचे रहो”

“मैं चाहता हूं कि तुम बड़े होकर इस सांप्रतादयिकता से बचे रहो”

20) जब दारु का सीन होता है तो फिर चेतावनी लिखी आती है, तो ऐसे हिंसक दृश्यों में भी चेतावनी लिखी जानी चाहिए।

“सेक्रेड गेम्स: हिंसात्मक सेक्स सीन में ‘घर पर ना आज़माएं’ बताना भूल गए अनुराग कश्यप”

महिलाऐं अच्छा सेक्स चाहती हैं, सेक्स में हिंसा नहीं।

21) बहुत सारे सामाजिक विषयों पर हम उतनी संवेदनशीलता नहीं दिखा पाते हैं जितनी हमेशा दिखानी चाहिए।

समलैंगिकता पर खुलकर बात करना मेरे शहरवालों को क्यों खटकता है

“कल तो एक साथी ने मुझे समलैंगिक ना बनने की सलाह भी दे डाली।”

22) शायद यही वह प्रेम होता होगा जिन्हें लोग कथा कहानियों पढ़ते हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी और राजकुमारी कौल की प्रेम कहानी जो समाज के बंधनों से आज़ाद थी

शायद यही वह रिश्ते होते होंगे जिनका अमृता प्रीतम ज़िक्र किया करती थी।

23) ये ऐसा समाज है जहां लड़का अपनी गर्लफेंड्स के नाम गर्व से ले सकता है लेकिन लड़की ऐसा करे तो उसके चरित्र का आंकलन होने लगता है।

अपने घरों में प्रेम विवाह को नकारने वालों का अमृता-प्रणय के लिए दुख बस दिखावा है

क्‍या ये लोग अपने घरों में इस तरह प्रेम को फलते फूलते देख सकेंगे?

24) यही हमारे हिंदुस्तान का आने वाल कल है?

“आदर्श बहू का कोर्स चलाने वाली यूनिवर्सिटी को आदर्श बेटों का ख्याल क्यों नहीं आता?”

एक और सवाल, आदर्श बहू मतलब क्या?

25) मैं खुद भी एक ऐसे भारत का सपना देखता हूं जिसमें आरक्षण ना हो, पर जातिवाद भी ना हो

”मैं एक मुसलमान हूं और आरक्षण की बहस के बीच मैं जय भीम के नारे लगाता हूं”

“मुझे यह नारा हिम्मत देता है अत्याचार के खिलाफ लड़ने के लिए”

26) लखनऊ की सड़कों पर कई पोस्टर्स पर लिखा हुआ दिखता है, “मुस्कुराइये आप लखनऊ में हैं”।

“क्या लखनऊ में अब मुस्कुराने के हालात हैं”

लखनऊ में एक एप्पल के कर्मचारी की पुलिस के द्वारा गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई।

27) जिस महान देश में मेरे जैसी औरतों का ये हाल हो, वैसी महानता किस काम की।

“मेरा पति मेरा गर्भपात कराना चाहता था ताकि उसे यौन संबंध बनाने में दिक्कत ना हो”

चाय बनाने वाले बर्तन से मेरे सर पर तब तक मारा गया जब तक वो लगभग टूट ना गया और उनका निशाना मेरे पेट में पल रहा उनका बच्चा था।

28)  सेक्स और बच्चे के फैसले में दकियानूस समाज का दबाव क्यों?

“मेरी मां मुझे अबॉर्ट नहीं करवा पाई क्योंकि इसका हक तो समाज को है औरतों को नहीं”

मां के अपेंडिक्स के ऑपरेशन के वक्त मैं पेट में महीने भर की थी।

29) मैंने उसके साथ पांच साल बिताए और मेरा जीवन एक नर्क था।

मैं फिल्म जैसी शादी की पहली रात के सपने देखती थी लेकिन असली अनुभव ऐसा बिल्कुल नहीं था

“हम ग्यारह वर्षों तक शादी में रहे, लेकिन केवल कागज़ों पर।”

30) “लोग बेपरवाह होकर पटरियों पर घूमते रहते हैं और ट्रेन के हॉर्न बजाने पर भी नहीं हटते।”

“मेरे लोको पायलट दोस्त ने बताया रेल की पटरी पर खड़ा होना आत्महत्या करना है”

ज़्यादा हॉर्न बजाने पर लोग नाराज़ होकर पत्थर मारते हैं।

31) वक्त आ चुका है जब हमें अपनी आवाज़ बुलंद करते हुए अपने नेतृत्वकर्ता से सवाल पूछना चाहिए।

” युवाओं को मंदिर, मस्जिद और मूर्तियां नहीं चाहिए बल्कि रोज़गार चाहिए”

शिक्षा के नाम पर हमें ग्रेड और प्रतिशत तक सीमित रखा गया है।

32) “जाति और धर्म न तो गर्व करने की चीज़ है और न ही शर्म करने की।”

“मैं आज तक अपने घर नहीं जा पाई क्योंकि मैंने दूसरी जाति के लड़के से शादी की”

आज हमारी शादी को 1 महीने से ज़्यादा हो गया लेकिन आज भी हम अपने घर नहीं जा पाए

33) “साहब! यह चाय बागान है, जो देखने में बहुत खूबसूरत लगते हैं लेकिन अंदर से उतने ही बदसूरत हैं।”

“असम के चाय बागानों में महिलाओं को शोषण के अलावा मिलती है डांट और फटकार”

मैनेजर साहब का बंगला किसी पांच सितारा होटल से कम नहीं है।

34) आपके झूठे वादों से युवाओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

“मोदी जी, आपके बहकावों और जुमलों के कारण मेरी ज़िन्दगी बर्बाद हो गई”

आपने मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी मोदी जी।

35) मुझे याद है कि जब मैंने यह पढ़ा तो मैं काफी उत्तेजित भी हुई और परेशान भी

“12 साल की उम्र में उत्तेजक लेख और किताबें पढ़ने से मैंने क्या सीखा”

मैंने जो भी कहानियां पढ़ीं, उनमें महिला किरदार के आनंद का वर्णन था।

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