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कहीं सिंदूर तो कहीं चूड़ियां मांगकर महिलाएं कर रही हैं कोरोना का इलाज

फोटो साभार- Flickr

फोटो साभार- Flickr

भारत के पास हर एक समस्या का तोड़ है। यहां अक्सर अपना काम करवाने के लिए लोग सीधे की जगह टेढ़ा रास्ता अपनाते दिखाई पड़ते हैं। विश्वभर में जहां एक तरफ कोरोना ने आतंक मचा रखा है, वहीं दूसरी तरफ इस बीमारी से बचने के लिए भारत के लोगों ने अनोखे और एक से एक उपाय निकाल लिए हैं।

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईज़ेशन की तरफ से कई अलग-अलग तरीके बताए जा रहे हैं। ये दिशा-निर्देश लोकहित की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दिए गए हैं। बड़े-बड़े साइंटिस्ट जहां अब तक हज़ारों कोशिशों में लगे हैं वहीं भारत में कोरोना को ठीक करने के लिए अनेकों दवाएं निकल चुकी हैं।

गाय के गोबर और ताबीज़ को बताया जा रहा है कोरोना का इलाज

कोरोना के टोटके के तौर पर गौमूत्र का प्रयोग। फोटो साभार- ट्विंकल सुजाता सिंह

ये दवाएं अलग-अलग वर्गों के हिसाब से हैं। समझदार और पढ़ा लिखा वर्ग 12वीं की साइंस की पुस्तक में छपे इलाज को सही मान रहा है और पिछड़ा वर्ग 10 रुपये में भभूत व ताबीज़ वाले तरीकों में संतुष्ट है। इससे इतर एक और वर्ग है जो ‘सुरक्षा ही समाधान’ का पालन करने में विश्वास रखता है।

इस वर्ग के लोग सोशल मीडिया पर दिए गए इलाजों जैसे गाय के गोबर को शरीर में लगाने, गौमूत्र को पीने से और प्रभु यीशु मसीह के सामने घुटने टेकने से भी आगे निकल चुके हैं। वर्चुअल वर्ल्ड से इतर रियल वर्ल्ड में खुद को कोरोना से बचाने के लिए लोगों ने बड़े अनोखे तरीके निकाल लिए हैं। ये तरीके राज्य-दर-राज्य थोड़े बदले-बदले से हैं।

अमेठी की महिलाएं भीख मांगकर पहन रही हैं चूड़ियां

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

लखनऊ के आस-पास वाले छोटे ज़िलों में रहने वाले मेरे दोस्तों से पता चला कि उनके गृह ज़िला अमेठी में कोरोना वायरस से बचने के लिए महिलाएं एक-दूसरे से चूड़ियां भीख मांगकर पहन रही हैं।

एक दोस्त ने बताया कि सरकार द्वारा दिए गए लॉकडाउन के निर्देश के बावजूद महिलाएं घर से बाहर निकल रही हैं। बिना मास्क या सैनिटाइज़र के एक-दूसरे के घर जा रही हैं और भीख में चूड़ियां मांगकर पहन रही हैं। ये चूड़ियां दूसरी महिलाओं की पहनी हुई हैं।

झारखंड की महिलाएं सिन्दूर को मान रही हैं कोरोना का टोटका

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

इसके अलावा झारखण्ड के चंदवा ज़िले की महिलाएं चूड़ियों की जगह एक-दूसरे से सिन्दूर मांगकर कोरोना को दूर रखने की कोशिश कर रही हैं। ऑरेंज वाला भक्रा सिन्दूर मांग कर महिलाएं अपनी मांग भरकर खुद को कोरोना की नज़रों से बचाने का प्रयास कर रही हैं।

यह जानकर ऐसा लगता है जैसे कोरोना कोई वायरस नहीं मगर एक कुंवारा लड़का है जिससे कोई भी लड़की शादी नहीं करना चाहती है।

झारखंड के बोकारो की महिलाएं घर-घर जाकर पी रही हैं पानी

वहीं, बोकारो थर्मल एरिया में कोरोना को दूर भगाने वाला टोटका बाकियों से ज़रा हटके है। यहां कोरोना का कनेक्शन बेटों से है। दरअसल, जिस महिला का एक बेटा है वो आस-पास के सात घर से पानी मांगकर पी रही हैं।

ताकि वो खुद को और अपने बेटे को कोरोना से बचा सके और तो और सुनने में यह भी आ रहा है कि स्त्री फिल्म से प्रभावित होकर लोग अपने घर के आगे “कोरोना कल आना” भी लिख रहे हैं।

नेपाल में कोरोना से बचने के लिए हैं और भी आजीबो-गरीब टोटके

कोरोना के टोटके के तौर पर जलाया गया दीया। फोटो साभार- ट्विंकल सुजाता सिंह

अच्छा ये तो हुई अपने देश की बात मगर टोटकों में पड़ोसी देश नेपाल भी कुछ कम नहीं है। नेपाल के लोग खुद को कोरोना से बचाने के लिए चौराहे पर हल्दी का पानी और चार दीए जला रहे हैं।

यह उम्मीद की जा रहा है कि इस तरह से वे अपने घर और परिवार को कोरोना की बुरी नज़र से बचा सकेंगे। वैसे इन सब में मुझे लोगों की गलती कम और नासमझी ज़्यादा लग रही है। ये घटनाएं जिन सभी इलाकों की हैं उन सब में से कई इलाकों के अस्पतालों में कोरोना जांच किट उपलब्ध ही नहीं हैं।

क्या लचर स्वास्थ्य व्यवस्था टोटकों को दे रहा है बढ़ावा?

आम शिकायत लेकर डॉक्टर के पास जाने पर डॉक्टर्स मरीज़ को सलाह देना तो छोड़िए देखते ही भगा दे रहे हैं। जो मिल रहे हैं वे रिपोर्ट फेंककर दे रहे हैं। ऐसे में सही जानकारी मिले भी तो कहां से? परिणाम यह हो रहा है कि लोगों में समझदारी की जगह सिर्फ और सिर्फ डर भर रहा है।

ऐसा नहीं है कि शहर में टोटकों की कमी है मगर बस यहां टोटके ज़रा कूल हैं। नॉन-वेज नहीं खाया जा रहा है, लोग फ्रिज में दूध से ज़्यादा दारु की बोतल रख रहे हैं, तरह-तरह के मीम्स बनाए जा रहे हैं और ऑनलाइन शॉपिंग नहीं की जा रही है।

इस संकट के समय से उभरने के लिए बहुत ज़रूरी है कि हर एक इंसान समझदारी से काम ले। अपने आस-पास फैल रही अफवाहों का खंडन करे और एक-दूसरे की मदद करे।

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